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Showing posts from January, 2019

फॉर मोर शॉट्स प्लीज| क्या माँगना चाहते हो ?

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वैसे तो एक से एक घटिया वेब सीरीज से इन्टरनेट भर गया है | लेकिन वो सब बाद में , फिलहाल बात करते है अमेज़न प्राइम पर आई नयी वेब सीरीज "फॉर मोर शॉट्स प्लीज" की | जैसा की ज्यादातर वेब सीरीज में होता है कि वो औरतो को केंद्र में रख कर लिखी जा रही है , या एक ऐसा किरदार होता है जिसके चारो और कहानी घुमती है | लेकिन यहाँ पर पूरी तरह से स्कसिसफुल अलग अलग प्रोफेशन की चार महिलाओ की कहानी है जिसमे अजीबो गरीब तरह के दृश्य देखने को मिलते है | ज्यादातर वेबसीरीज , औरतों की कामुकता को बिस्तर पर सुलगाने को कह रही है | फॉर मोर शॉट्स प्लीज में चार औरते है एक डिवोर्स माँ है , एक पत्रकार , एक फिटनेस ट्रेनर , और एक कुछ भी नहीं है | लेकिन शादी से पहले सब कुछ करना चाहती है | चारो को एक "ट्रक" बार में जाकर शराब पीना अच्छा लगता है , चारो को एक दुसरे से हर बात शेयर करना पसंद| लेकिन कमाल की बात है कि चारो की सेक्स लाइफ भी ठप ही पड़ी है | इसलिए चारो को अपनी वेजाइना के बारे में बात करना पसंद है |क्यूँ है , ये मालुम नहीं है | एक दृश्य में चारो औरते अपनी वेजाइना के बारे में बात कर रही

अपने पैसे एक्सीडेंटली मत गवाएँ| द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

फिल्म की शुरुआत होती है लोकसभा २००४ के जीतने से जिसमे कांग्रेस बड़ी पार्टी बनकर उभरी और संयुक्त विकास मोर्चा(UPA) को बहुमत मिला और सोनिया गाँधी के विरोध के साथ | फिल्म में कुछ ऐसा नहीं जिसे आप नहीं जानते कम से कम मैं तो जानता ही हूँ| मैंने सरकारों को लगभग २००३ से फॉलो करा है | और आज भी कर रहा हूँ | ये फिल्म सरकार के किसी भी पहलु को दिखाने में सफल नहीं हुई है | लेकिन भक्तो की एक जमात को ये फिल्म देखने में मजा आ सकता है क्यूंकि इसमें व्हाट्सएप के जैसे डायलॉग है और ऐसी ही सिनेमेटोग्राफी देखने को मिलती है जैसे उनके द्वारा की विडियो के फुटेज में |फिल्म का अंत इसके उदेश्य को स्पष्ट कर देता है जिसमे  "पब्लिशर - चुनावों के वक़्त भी यदि किताब की सेल नहीं तो कब होगी |" इसका सलूशन कुछ ऐसे निकलता है | "संजय बारू की जब नहीं बिकती है तो उसे सनसनीखेज बनाने के लिए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी होती है , जिसके बाद किताब तेजी से बिकती है "   वही बात फिल्म के उपर भी लागू होती है | फिल्म पैसे कमाने के लिए बनती है लेकिन इस फिल्म को सुने थिएटर ही नसीब हो रहे है | कुछ ऐसे

अग्नि परीक्षा पर कितना खरा उतरेगा | मोदी सरकार का आरक्षण बिल

बुधवार को रात लगभग १० बजे राज्यसभा ने सविंधान संशोधन को हरी झंडी दे दी |  जिसके बाद आरक्षण या सकरात्मक कदम आर्थिक आधार पर भी हो सकेंगे | हांलकि ये चाल कितनी कारगर साबित होगी ये तो आपको मई के महीने में पता चल ही जाएगा | राज्यसभा के कुछ सांसदों के ब्यान जो फिलहाल मुझे याद है यहाँ पर मैं "कोट" करना  चाहूँगा | "आरक्षण का जन्म क्यूँ हुआ ? ये सरकार उसमे ना जाकर, उसकी बहस(आर्थिक रूप से ) को एक नया रंग देना चाहती है | "आरक्षण कोई मनरेगा योजना नहीं है जिसमे आइये और नौकरी पाइए  "आरक्षण जनसँख्या का प्रतिनिधित्व करता है |पिछडो की जनसँख्या ५५% होने के बावजूद उन्हें २७.५ % पर समेट दिया गया |   आरक्षण की आत्मा कहाँ बस्ती है ? जब किसी व्यक्ति की आज़ादी ,और स्वाभिमान को सिर्फ इसलिए छीन लिया जाता है | कि तुच्छ जाती में पैदा हुआ है | उना, रोहित वेमुला जैसी घटनाएं है जिसकी वजह से आरक्षण को दोबारा से परिभाषित करने की कोई जरुरत नहीं है | जबकिसी को सिर्फ इस बात पर प्रताड़ित किया जाता है कि उसने बड़ी मूछ उगा ली है   ये तो कुछ ऐसी बातें थी | मूंह में राम बगल में छुरी,